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अध्याय 583

एलेक्ज़ेंडर की आवाज़ गेटी के कानों में शब्द दर शब्द गूंज रही थी। जैसे बिजली की गर्जना, हर शब्द इतना भारी था कि उसे चक्कर आने लगे।

गेटी की उंगलियाँ धीरे-धीरे कसने लगीं, कांपते हुए उसने कहा, "मुझे 100 अरब डॉलर चाहिए।"

एलेक्ज़ेंडर ने हल्का सा भौंहें चढ़ाईं, उसकी आवाज़ में अधीरता थी। "तुम्हें ये मज़ाक...