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अध्याय 565

"उतर जाओ।" अलेक्जेंडर का स्वर बहुत ही अनमित्रतापूर्ण था और उसमें थोड़ी कमजोरी भी झलक रही थी।

गेटी ने तुरंत नोटिस किया, घबराते हुए उसका हाथ पकड़ लिया, "अलेक्जेंडर, तुम्हें क्या हुआ है? क्या तुम घायल हो?"

अलेक्जेंडर ने उसे बर्फीली नजरों से देखा, जिससे गेटी की रीढ़ में सिहरन दौड़ गई।

"मैंने कहा उतर ...