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अध्याय 397

"तुम क्या कहना चाह रही हो?" अलेक्जेंडर की आवाज़ गेटी की बड़बड़ाहट को मक्खन में चाकू की तरह काटते हुए आई, उसका लहजा ठंडा और तीखा था।

गेटी अचानक से चौंक गई, उसकी नज़र उस आदमी के भावहीन चेहरे पर टिक गई, उसके सपने अचानक बिखर गए। "मैं ये सुझाव दे रही थी... अब जब तुम तलाकशुदा हो, शायद तुम मुझसे शादी करने...