Read with BonusRead with Bonus

अध्याय 363

उसकी कलाई से गहरा लाल खून रिस रहा था, जैसे पूरी तरह खिला हुआ गुलाब।

आँसुओं की परत के बीच, एक जिद्दी चमक उसके चेहरे पर दिख रही थी जब वह बार-बार घाव पर दबाव डाल रही थी। दर्द उतना तीव्र नहीं था जितना उसने सोचा था; इसके बजाय, उसे एक अजीब सी स्वतंत्रता का अनुभव हो रहा था।

उसके दिल में चुभन उसके कलाई ...