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अध्याय 288

क्विन खुद को सोफे के किनारे पर बैठी पाई, उसकी नजर आदतन दीवार की घड़ी पर टिकी हुई थी, देखते हुए कि सेकंड की सुई अपनी अनवरत यात्रा कर रही थी।

घड़ी की टिक-टिक एक सुकून देने वाली लय थी, उसकी अनिश्चितताओं भरी जिंदगी में एक स्थिरता।हर बार जब वह अलेक्जेंडर की वापसी का इंतजार करती, उसकी आंखें उस घड़ी पर टि...