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अध्याय 227

जैसे-जैसे रात गहराती गई, क्विन सोफे पर बेचैनी से करवटें बदलती रही। उसकी नज़र दीवार पर लगी घड़ी पर टिकी थी, जिसकी सुइयाँ रात के 11 बजा रही थीं। उसे दिल में एक गहरी उदासी के साथ पता था कि शायद अलेक्जेंडर आज रात भी घर नहीं लौटेगा।

वह नींद के आगोश में जाने ही वाली थी कि ऊपर से अचानक एक आवाज़ आई, जिसने ...